Monday, December 31, 2018

 अभी हम जिंदा है ं, आजाद परिंदा हैं। 

                
ज सब लाइफ़ को बहुत ज्यादा कोम्पिलिकेटेड और बोरिंग बाना कर जी रहे हैं। हम जो करना चाहते हैं कर नहीं पा रहे हैं, जो काम कर रहे हैं उसमें सफल नहीं हो रहे हैं।  जिन्दगी बरबाद सी हो गई है। कुछ नहीं बचा जीवन में। पर सच मे ऐसा ही है ?  गलफ्रेंड वायफ्रेन्ड में लड़ाई हुई, लो आ गई आफत , ना खाना है ना पीना है ना सोना है ना बात करना है। माता पिता ने डाट दिया तो घर छोड़ कर निकल जाना है। दोस्त ने किसी काम  के लिए माना कर दिया तो कैसा दोस्त। और भी ना जाने क्या क्या।


          हम यान्गस्टर बडे़ जोश में किसी काम को शुरू करते हैं, पर सफलता ना मिलने पर सब कुछ खत्म, जीवन अब बरबाद है। कुछ नहीं है करने को, सब कुछ सामाप्त हो गया है। एक दम थके, हारे, बेवश, लाचार हो जातें हैं। परन्तु जरूरी नही सफलता एक ही बार में ही हमारी झोली में आ गिरे। हममें मंजिल को पाने की इच्छा होनी चाहिए। हमारे अन्दर आत्मविश्वास, मेहनत और हिम्मत का समिश्रण होना चाहिए। इन्ही तीनों के सहारे हम जीवन को सफल बना सकते हैं। हममें सफलता पाने की भुख हो, जुनून हो, रात में सोने से पहले, दिन में उठने के बाद, खाते पीते, उठते बैठते, चारो तरफ उसी का अस्क दिखे, बस उसे पाने की तड़प हो। उस मंजिल के अलावा हम ना कुछ सोच पाए ना देख पाए।  तभी मंजिल मिलेगी आवश्यक मिलेगी। कोशिश तब तक करनी होगी जब तक हम सफल ना हो जाए।  हार नहीं मानो, गिरो उठो, फिर गिरो फिर उठो और तब तक उठते रहो जब तक अपने पैरों पर खड़े होकर दौडने ना लगो। और सिर्फ भगाने के लिए मत दौड़ना, जीतने के लिए भी नही, नम्बर एक आने के लिए दौड़ना, तब जीत आवश्यक मिलेगी।
 
       
               जिंदगी में अभी उड़ान बाकी हैं
             हौसलों में अभी जान बाकी हैं।
             मजबुरियों को कह दो,
             अपना कद और भी उंचा कर ले,
             क्योंकि-
             मुझमें अभी कुछ करने की चाह बाकी हैं।।


          अगर हम पहली बार या दुसरी बार या तीसरी बार हार भी गए तो क्या ?  उस हार के बाद मिली जीत के बारे में सोचना हैं।  हमें थकना नहीं है, रूकना नहीं है, क्योंकि हर हार हमें कुछ सिखा कर जाती है। हमरा ज्ञान बढ़ा कर जाती है। अगर हम पहली बार में ही जीत गए तो हम अनुभव से वंचित रह जाएंगे और बिना अनुभव के हम आगे कुछ नहीं सीख पाएंगे। हम थाकेंगे, रोयेंगे, चीखेंगे, हिम्मत साथ छोड़ेगी, आस दम तोड़ती, चारों तरफ़ अन्धकार लगेगा फिर भी हार नहीं मनना है क्योंकि "तुम अभी भी जिन्दा हो "  आजाद परिंदा हो। खुन का एक कतरा अभी बाकी है। सांस बाकी है, अरमान अब भी बाकी है। बस अपनी उम्मीद की मशाल जलाये रखना। अपना हौंसला बनाए रखना क्योंकि हर बाजीं पलटती है, हर सिक्के के दो पहलु होतें है। असम्भव में सम्भव, असफलता में सफलता छिपी होती है। रात है तो दिन भी, धरती हैं तो आकाश भी। बस चुनाव हमें करना है। मंजिल तक हमें पहुंचाना है। आगे हमको बढ़ना है। मंजिल को निश्चित कर लो। रास्ते को तय करते हुए अगर विफल भी हो गये तो रास्ता बदलो मंजिल नहीं। नजर नहीं नजरिया बदलो नजारे खुद बा खुद बदल जाएगें। जो व्यक्ति मंजिल नहीं बदलते इतिहास वही लिखते हैं।


              अपने लिए अभी एहसास बाकी हैं,

              खुद से भी प्यार हो यह बात बाकी हैं।
              जमाने से कह दो,
              अपनी नजरें और भी ऊंची कर लें
              क्योंकि,
              मुझमें अभी असमान छुने का जुनून बाकी है।।
           

          समय कभी नहीं रुकता ना अच्छा होता है। हमें इसे अच्छा करना पड़ता हैं। समय कहता है "मुझे खर्च करो नहीं तो मैं तुम्हें खर्च कर दुंगा। " तो क्यों ना हम समय को हरा कर खुद जीते। अपने अंदर आग जलाओगे तभी बहार पानी की तलाश कर पाओगे। मछली नही शार्क बनों, गीदड़ नही शेर बनो। जीत तुम्हारी होगी, आवश्य होगी। परन्तु अपने आप पर नियंत्रण बाना कर रखो। अपनी इन्द्रियों को अपने काबू में रखना। सफलता के साथ अहंकार और गर्व भी मिलेगा, उसका त्याग करते हुए आगे बढ़ना अन्यथा सब कुछ लेकर चलोगें तो बोझ इतना बढ़ जाएगा की हिल भी नहीं पाओगे। निरंतर खुशी का अनुभव करते हुए सफलता की सिढ़ी सबके साथ मिलकर चढ़ना।

         
             अरमानों में पंख लगाना बाकी है,
             उबलते लहू का एक कतरा बाकी है।
             मंजिलो से कह दो,
             अपनें रास्तें और भी लम्बें कर लें
             क्योंकि,
             अभी भी मेरी कदमों में जान बाकी है।।
               
                                                             -- प्रियंका गोड़िया