दबी आवाज़
क्या हो गया है यह आज
यह चोट यह खरोंच कैसे ?
कही नही जाना है,
चोट तो भर ही जाएगी
यह चोट यह खरोंच कैसे ?
कुछ नही बताना है,
अपनी चीखों को दबाकर
बस, किसी कोने में छिप जाना है। चोट तो भर ही जाएगी
खरोंच भी मिट ही जाएगी
चमड़े पर परत चढ़ ही जाएगी,
मर- मर कर जीने के बाद
मरने पर कफ़न शायद मिल ही जाएगी
बस, किसी कोने मे तब तक छिप पायीं।
अगर गयी तो फिर क्या होगा ?
क्या न्यायालय साथ होगा ?
जिस्म के तो टुकड़े हुए है
आत्मा के भी हो जाएगें
शरीर के तो कपड़े उतरे थे,
मन के भी उतर जाएगें।
वह सब फिर बताना होगा
घिनौनी करतुत को दोहराना होगा,
समाज से दुत्कार दी जाउगी
फिर, इस दुनिया में ना जी पाउगीं
सब की निगाहों में आ जाउगी
फिर, किसी कोने में भी ना छिप पाउगी।
--प्रियंका गोड़िया
चमड़े पर परत चढ़ ही जाएगी,
मर- मर कर जीने के बाद
मरने पर कफ़न शायद मिल ही जाएगी
बस, किसी कोने मे तब तक छिप पायीं।
अगर गयी तो फिर क्या होगा ?
क्या न्यायालय साथ होगा ?
जिस्म के तो टुकड़े हुए है
आत्मा के भी हो जाएगें
शरीर के तो कपड़े उतरे थे,
मन के भी उतर जाएगें।
वह सब फिर बताना होगा
घिनौनी करतुत को दोहराना होगा,
समाज से दुत्कार दी जाउगी
फिर, इस दुनिया में ना जी पाउगीं
सब की निगाहों में आ जाउगी
फिर, किसी कोने में भी ना छिप पाउगी।
अंधकार था वहा पर
सच अंधकार था वहा पर
पर आज फिर भी क्यों ?
अंधकार मांगती हूँ ?
बस, किसी कोने में छिप कर
जिंदगी जीने की वजह मांगती हूँ ।।
--प्रियंका गोड़िया
Nc dear
ReplyDeleteBeautiful di...
ReplyDeleteWah..
ReplyDeleteAwesome lines
ReplyDeleteDi mere ruh ko chuu gyi yeh blog
ReplyDeleteThnku dear
DeleteNice
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