शत् शत् प्रणाम
जब कभी हम लड़खडाए,
तुमने हमें थाम लिया
तुमने हमें थाम लिया
थके, हारे जब हम घबड़ाए
तेरे आंचल ने हमें पनाह दिया
भूखे पेट न कभी हमें सोने दिया
तुमने हाथों से खिला निवाला
हमारे माथे को चुम लिया
तेरी ममता का कोई अन्त नहीं,
तुम्हारे जैसा कोई शख्स नहीं,
सबसे बड़ा है, तुम्हारा स्थान
इसलिए ईश्वर ने भी सर झुका कर
तुम्हारे जैसा कोई शख्स नहीं,
सबसे बड़ा है, तुम्हारा स्थान
इसलिए ईश्वर ने भी सर झुका कर
"माँ", तुमको शत् शत् प्रणाम किया।।
फिर क्यों आज यह कुचक्र चला?
तुझे दिखा अनाथालय का दरवाजा
सन्तानों ने ही नाता तोड़ लिया,
तेरे आंचल को फिर "माँ"
क्यों बहुतों ने तार - तार किया ?
तुम्हें दो वक्त की रोटी तो दे न पाएं
परन्तु पेट भर अपमान दिया
फिर भी सब कुछ भुलाकर तुमने
उनके ही सन्तानों को ,
अनन्त, अपार प्रेम किया
इसलिए ईश्वर ने भी सर झुका कर
" माँ ", तुमको शत् शत् प्रणाम किया ।।
-- प्रियंका गोड़िया
तुझे दिखा अनाथालय का दरवाजा
सन्तानों ने ही नाता तोड़ लिया,
तेरे आंचल को फिर "माँ"
क्यों बहुतों ने तार - तार किया ?
तुम्हें दो वक्त की रोटी तो दे न पाएं
परन्तु पेट भर अपमान दिया
फिर भी सब कुछ भुलाकर तुमने
उनके ही सन्तानों को ,
अनन्त, अपार प्रेम किया
इसलिए ईश्वर ने भी सर झुका कर
" माँ ", तुमको शत् शत् प्रणाम किया ।।
-- प्रियंका गोड़िया
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